वट पूर्णिमा, हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण त्योहार है जो पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। यह त्योहार श्रीकृष्ण भगवान के बाल लीलाओं औरवट वृक्ष (बरगद का पेड़) की महिमा को याद करने के लिए मनाया जाता है।
वट पूर्णिमा के दिन, लोग वट वृक्ष के नीचे बैठकर उसे पूजा करते हैं और उसके चारों ओर दीपक जलाते हैं। यह परंपरा श्रीकृष्ण भगवानके वत्सल्य और वृक्षों के प्रति आदर और सम्मान का प्रतीक है। भगवान श्रीकृष्ण को बचपन में बड़े और तेजस्वी वट वृक्ष के नीचे खेलतेदेखा गया था, इसलिए वट पूर्णिमा इसे याद करने और समर्पण करने का दिन माना जाता है।
वट पूर्णिमा को व्रत रखने से मान्यता है कि यह सुख, समृद्धि, और धार्मिकता को बढ़ावा देता है। इस दिन व्रती व्यक्ति को अपने कर्मों कापरिणाम भोगने के बजाय उन्हें धर्मिक गतिविधियों, पूजा, दान, जप, और सेवा में लगाने की सलाह दी जाती है।
वट पूर्णिमा भारत के विभिन्न हिस्सों में विशेष रूप से मनाया जाता है और इसे विवाह, संतान प्राप्ति, और पूजा-अर्चना के दिन के रूप मेंभी मनाया जाता है। यह त्योहार भक्ति और आध्यात्मिकता का महत्वपूर्ण अवसर है जो लोगों को संतुष्टि और आनंद प्रदान करता है।
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