निर्जला एकादशी व्रत एक हिन्दू व्रत है जिसे अनुयायी धार्मिक व्यक्ति रखते हैं। यह व्रत विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा एवंसमर्पणा के लिए रखा जाता है। यह व्रत अक्टूबर या नवंबर महीने में पड़ने वाले कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखाजाता है।
निर्जला एकादशी व्रत में व्रती व्यक्ति पूरे दिन निर्जला (अर्थात् निरोगन्ध) अर्थात् भोजन और पानी का सेवन नहीं करते हैं। इसका मुख्यउद्देश्य अपने मन, शरीर, और आत्मा को शुद्ध करना है और भगवान विष्णु की कृपा एवं आशीर्वाद प्राप्त करना है। यह व्रत भक्ति, संयम, त्याग, और सात्विक जीवन के आदर्शों को प्रमाणित करता है।
इस व्रत को रखने से मान्यता है कि व्रती व्यक्ति के पापों का नाश होता है, उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, और भगवान विष्णु की कृपासे समृद्धि और सुख संपन्न होती है।
निर्जला एकादशी व्रत का पालन करने से पहले, व्रती व्यक्ति को अपने गुरु या पंडित से सलाह लेनी चाहिए और व्रत के नियमों औरविधियों को ठीक से समझना चाहिए। विशेषकर, निर्जला एकादशी व्रत शारीरिक रूप से मजबूत व्यक्तियों के लिए ही संभव होता है, जबकि निर्जला व्रत की विधियाँ अत्यंत स्वयंसेवक होने की आवश्यकता होती हैं।
यह व्रत भारतीय संस्कृति और धार्मिकता का महत्वपूर्ण हिस्सा है और भक्तों के लिए आध्यात्मिक और मानसिक तत्वों को स्थायी सुखएवं समृद्धि की ओर प्रोत्साहित करता है।
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